शनिवार, 13 अगस्त 2011
कुछ नज़ारे... बस बेसाख्ता यूँ ही...
मुझे चाँद चाहिए....
सुनी पड़ी है ये राहें....
सनसेट के लिए क्यूँ बेकार आबू तक दोड़ लगे जाये...
इन्द्र धनुष....
सुना था.... दीवार मे एक खिड़की रहती थी...
बुधवार, 10 अगस्त 2011
बड़े निराले लोग है हम लोग...
बड़े निराले लोग है हम लोग...
बाली ओर देसूरी में मिले कुछ ऐसे ही निराले ओर बड़े ही प्यारे लोग....
रविवार, 7 अगस्त 2011
Ye Barishon Ka Mausam.....
आइये बारिशों का मौसम है....
तेरा घर और मेरा जंगल......
तेरा घर और मेरा जंगल भीगता है साथ साथ
ऐसी बरसातें कि बादल भीगता है साथ साथ
- परवीन शाकिर
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